मानसिक आज़ादी , यही सच्ची आज़ादी है। जिसका मन आज़ाद नहीं वह मनुष्य होकर भी गुलाम है। जिसका मन आज़ाद नहीं, वह मनुष्य जीवित होकर भी मृत व्यक्ति के समान है। मन की आज़ादी सजीवता का लक्षण है। जो मनुष्य अपनी बुद्धि जागृत रखते हुए , अपने तथा अपने कर्त्तव्य , इन दोनों के प्रति सजग रहता है, उसे मैं आज़ाद मानता हूँ । जो परिस्थिति को अपने नियंत्रण में रखने के लिए तैयार रहता है , मैं उसे आज़ाद मानता हूँ । जिसके विचारो की ज्योति बुझती नहीं , जो दूसरों पर निर्भर नहीं , जो प्रतिकूल जनमत से घबराता नहीं , जो दूसरों के हाथो का खिलौना न बन सके , इतनी बुद्धि तथा स्वाभिमान जिसके पास है , वही मनुष्य आज़ाद है, मैं ऐसा मानता हूँ।