Tuesday, June 7, 2011

वो मिलते हैं ऐसे

वो मिलते हैं ऐसे कि मिलके भी नहीं मिलते
वो फूल हैं ऐसे कि खिलके भी नहीं खिलते

हम कहते हैं उनसे पहलू में मेरे आओ
उनके तो कदमों के निशां, दिखके भी नहीं दिखते

हम कहते हैं उनसे बादल की तरह बरसो
वो बूंद हो स्वाति की, झरके भी नहीं झरते

हम कहते हैं उनसे सूरज की तरह चमको
वो हैं कि दीपक की तरह्, जलके भी नहीं जलते

हम कहते हैं उनसे कभी झोंके की तरह आओ
वो हैं कि पत्तों की तरह, हिलके भी नहीं हिलते

वो मिलते हैं ऐसे कि मिलके भी नहीं मिलते
वो फूल हैं ऐसे कि खिलके भी नहीं खिलते ।।